खुशी का कारण – Feel Good Factor (in Hindi)

खुशी का कारण

अगर हम उनके इच्छुक हैं तो प्रत्येक दिन बहुत से सुअवसर मिलते हैं और घटनाऐं घटती हैं जो हमें कुछ खुशी दे सकती हैं । यह सूरज की रोशनी हो सकती है, खरीरददारी, दोस्तों और रिश्तेदारीरों से बातचीत, अच्छा भोजन या अच्छी फिल्म या बेशुमार दूसरी चीज़ें हो सकती हैं ।

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हम सभी अच्छा महसूस करना चाहते हैं और खुश रहना चाहते हैं, यही स्वाभाविक है । फिर भी अगर हमें सच्ची खुशी क्या है और यह जानने के लिए कि हमारे लिए क्या बेहतर है और क्या हमें छल से क्षणभंगुर खुशी दे रहा है, हमें अपनी परख शक्ति को प्रयोग में लाना होगा ।

उदाहरण के लिए, हम जानते हैं कि किसी भी लत को बढ़ाने से हमें एकदम खुशी का अहसास होता है । शौकिया ड्रग्स को तो एक तरफ रख दें लेकिन चीनी और कॉफी जो इतनी मासूमियत से हमारी रसोई की शेल्फ पर रखी हैं वे भी थोड़ा नशा चढ़ाती हैं । जब हम चॉकलेट या केक का टुकड़ा खाते हैं तो तात्कालिक डॉपामीन का प्रवाह होता है! थोड़े समय के लिए खुशी मिलती है, जब तक कि उस ड्रग की शक्ति समाप्त न हो जाए, और खुश होने के लिए हर बार हमें और अधिक मात्रा चाहिए ।

खरीददारी, सम्बन्ध, तम्बाकू, यात्रा – ये सब अपने अपने तरीके से लत लगाने वाले हो सकते हैं और थोड़े समय के लिए हमें बहुत शांति और खुशी का अनुभव कराती हैं । समस्या तब पैदा होती है जब हम अपनी खुशी के लिए इन पर निर्भर हो जाते हैं… इसका अर्थ है कि जब हमारे पास वह मनुष्य/अनुभव/वस्तु नहीं है तो हम खुश नहीं हैं । किसी भी लत की तरह, यह हमें गुलाम बना देती हैं और गुलाम अपने भाग्य के निर्माता नहीं होते । सोच के देखिऐ कि खुश रहने के लिए हमें सदा किसी विशेष व्यक्ति की आवश्यकता पड़े । या उससे भी आगे कल्पना करें कि खुश रहने के लिए हम अपेक्षा करें कि कोई मनुष्य किसी विशेष प्रकार से व्यवहार करे । वास्तव मे यह सम्भव नहीं है, और एक अच्छे सम्बन्ध के लिए यह तरीका ठीक नहीं है! तो निश्चित रूप से चिरस्थाई खुशी के लिए यह रास्ता नहीं है ।

यहाँ कुछ चीज़ें हैं जो हमें अच्छा महसूस कराती हैं, लेकिन इनके साथ चेतावनी लगी है!

प्रशंसा

प्रशंसा से हमें अच्छा लगता है… बल्कि बहुत अच्छा लगता है । लेकिन आज हम अहंकारी बन जाते हैं और कल हमारी हवा निकल जाती है अगर हमारी इच्छुक या अपेक्षित प्रशंसा नहीं मिलती । सबसे खराब बात है कि हमें बेहद दुख होगा अगर किसी ने हमें बदनाम किया या हमें नीचा दिखाया! पुरानी कहावत याद करें ‘गिरावट से पहले अहंकार आता है’! प्रशंसा को अपने मस्तिष्क में ना जाने दें, हम इसे सकारात्मक चिन्ह के रूप में कि हम सही मार्ग पर हैं, धन्यवाद के भाव सहित स्वीकार करें । अच्छा लगता है यह जानकर कि हम लगातार प्रगति पर हैं ।

प्रशंसा को खुशी की ओर प्रारंभिक प्रयास के रूप में प्रयोग करने का दूसरा तरीका है किसी दूसरे की तारीफ करना ।

आज किसी दूसरे की तारीफ करने का प्रयास करें और देखें कि बदले में आपको क्या प्राप्त होता है । निस्संदेह यह सच्ची और दिल से होनी चाहिए । आप दूसरों को ऊँचा उठाऐंगे और स्वयं के भीतर भी खुशी के कारण को सक्रिय कर देंगे । जब आप अपने नज़रिये को बदल लेते हैं, दूसरों में बुराई की बजाय अच्छाई देखते हैं, कमियों की जगह गुण और विशेषताऐं देखते हैं तब उमंग-उत्साह, सकारात्मकता और करूणा बढ़ जाती है और आपके स्वयं के भीतर चिरस्थाई खुशी के लिए यह बहुत शक्तिशाली तरीका है ।

दूसरों के काम आना

हम चाहे कितने भी उदास और क्रोध में हों, दूसरों की मदद करके हमें बहुत खुशी की प्राप्ति होती है ।

जब हम अपने स्वार्थ से थोड़ा दूर जाते हैं और दूसरों के लिए कुछ करते हैं तो ऐसा करने से हम स्वयं की नकारात्मकता से दूर हो जाते हैं और हमें संतुष्टता का अहसास होता है । चाहे लोक-प्रसिद्ध किसी बुढ़ी औरत को सड़क पार करवाऐं, आवश्यकता के समय किसी की बात सुने, या ग्रह को बचाने में मदद करें, अगर यह बहुत सच्चे दिल से और सही मंशा से किया गया है तो इससे हमें बहुत खुशी मिलेगी ।

फिर भी, अगर ‘अच्छे कर्म’ हम आत्मसंतुष्टि और इस भावना से करते हैं कि ‘मुझे देखो, मैं कितना अच्छा हूँ’ तो यह इस बात का प्रतीक है कि असल में हम प्रदान नहीं कर रहे बल्कि ले रहे हैं । फिर अगर मेरे ‘अच्छे पुरूषार्थ’ का प्राप्तकर्ता कृतज्ञ नहीं है तो बहुत जल्दी हमारी खुशी पश्चाताप में बदल सकती है!

स्वयं को बेहतर बनाना

जब हम स्वयं की देखभाल करते हैं और अपने मन और आत्मा की उन्नित करते हैं, जब हम अपनी संतुष्टता के लिए और दूसरों के फायदे के लिए स्वयं को और भी बेहतर बनाने का लक्ष्य रखते हैं तो खुशी स्वत: ही उत्पन्न होती है । लेकिन अगर हम केवल अपने मन की उन्नि‍त करते हैं आत्मा की नहीं तो इस बात का ख़तरा रहेगा कि हम वह बन जाऐंगे जिसे सब कुछ मालूम है लेकिन हृदय नहीं है ।

ऐसे ही, अगर हम अपनी शारीरिक दिखावट पर ही बहुत मेहनत करते हैं या अपने शरीर को आदर्श बना देते हैं, लेकिन आत्मा की सुंदरता का अनावरण नहीं करते, तो 100% हमें दुख ही मिलेगा क्योंकि समय और गुरूत्वाकर्षण बल अपना कार्य करेगा और झुर्रियाँ आ जाऐंगी । केवल ‘आंतरिक कार्य’ ही स्थाई खुशी लाऐगा ।

स्व-प्रबंधन

मुझे पूरा विश्वास है कि हम सबको खुशी मिलती है जब हम अपने नियंत्रण में होते हैं । अपना आपा खो देना, हिंसक बन जाना, अपने लालच में आकर भटक जाना, अहंकार को आने देना, काम को टालते रहना और अपने स्वाभिमान से दूर हो जाना निश्चित रूप से हमें खुशी नहीं देगा – बहुत विराधाभास है! लेकिन स्व-नियंत्रण को प्राकृतिक होना चाहिऐ । जबरदस्ती करना, दमन करना या बाध्य होकर कुछ करना, ये सब खुश होने के समाधान नहीं हैं । तो जितना हो सके, अपने विचारों को अपने शब्दों और बातचीत से मिलाईए । जो कुछ भी आप कहते हो उसे करने में और जो कुछ करते हो उसे प्रेम करने में प्रतिदिन थोड़ी बहुत प्रगति करने का लक्ष्य रखें । अपने असली शांत और शक्तिशाली स्वभाव को फिर से प्राप्त करने का यही स्वाभाविक तरीका है । इससे सत्यनिष्ठा, स्वाभिमान और अंतत: सच्ची खुशी की प्राप्ति होती है ।

अब समय है… अपने खुशी के कारण को नियंत्रित करने का । अस्थाई खुशी के लिए स्वयं को मत गिराईए, बल्कि अपनी आत्मा को ऊँचा उठाईए और स्वयं को श्रेष्ठ बनाईए ।

 

© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK

 

 

 

 

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