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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार, अपशब्द और अधर्म को छोडकर, सभी लोगों का मूलभूत अधिकार है । हमें बहुत सचेत रहना होगा कि हमारी स्वतंत्रता हमारे हाथों से फिसल ना जाऐ । हमेंशा ही वे लोग होंगें जो सच के लिए खडें होगें ।
Read Moreआज सोशल डिसटेंसिग के समय में नमस्ते करना बिल्कुल सही है और राष्ट्रपतियों और राजाई घराने के लोगों को भी इसकी आदत पड गई है । अगर हम आत्मा की स्मृति से आत्मा को नमस्ते कहते हैं, यह समझ कर कि यह अभिवादन प्रत्येक प्राणी को आदर और सत्कार देने के लिए है, तो सोशल डिसटैंसिग की समस्या समाप्त हो जाती है ।
नमस्ते एक संस्कृत का शब्द है जो कि दो शब्दों से मिलकर बना है , ‘नमस’ और ‘ते’ । नमस का अर्थ है ‘झुकना’ और ते का अर्थ है ‘आपको’ । इसलिए, नमस्ते का अर्थ है: “मैं आपके समक्ष झुकता हूँ” “मैं आपकी महानता के आगे झुकता हूँ ।” या, “मैं आपके आदर में आपके आगे झुकता हूँ ।”
हम वर्तमान समय एक चयन के पल से गुजर रहे हैं, हम जीवन के दोराहे पर खडे हैं । हम प्रेम, शांति, आनंद, खुशी और करूणा की ओर जाने का चयन कर सकते हैं । या हम उस “साहसी नये संसार” में रहने का चयन कर सकते हैं जो कि भय, उत्तेजना और शंका से भरा है । आप कौन से का चयन करेंगे?
Read Moreहाल ही में समस्त संसार से बहुत से लोगों के परिक्षण और पीड़ा की बहुत सी कहानियाँ बहुत हताश करने वाली हैं । चाहे तो कोई अकेला है, या किसी की नौकरी चली गई है, और या फिर किसी प्रकार का नुकसान उठाया है । एक लड़की की दुख भरी कहानी में उसके बॉयफ्रैंन्ड ने उसे इस पूर्ण लॉकडाउन में छोड़ दिया । अभी तो मौका था एक दूसरे का सहारा बनने का! जिस भी हालात में आप हैं उससे निराश नहीं हों, क्योंकि अभी तो वह समय है जब हमें आतंरिक लचीलापन विकसित करना है ।
Read Moreस्वतंत्र इच्छा, चुनाव और परिणाम आज के समय में प्रकृति अपना आधिपत्त्य साबित कर रही है । हम प्रकृति की झूँझलाहट को देख रहे हैं । हम उस भयंकर ताकत को देख रहें हैं, हमें लगा था कि अपनी तकनीकी और विज्ञान के शस्त्रागार से हम उसे नियंत्रित कर सकते हैं । […]
Read Moreएक कविता वायरस के नाम भीतर रहना है भीतर रहना है उन्होंने यही बताया लेकिन कौन से भीतर मुझे नहीं मालूम क्या गली में जो मेरा घर है उसके भीतर या फिर इस घर के भीतर जो आत्मा का घर है? दूरी रखनी है दूरी रखनी है उन्होंने यही बताया लेकिन कौन सी दूरी मूझे […]
Read Moreहमें केवल भय से ही भय रखना है – फैन्कलिन डी रूज़वैल्ट प्रतिदिन सरकार और लॉकडाउन आदि के बारे में साधारण मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से नकारात्मक रिवायत (ब्यान) हमारे मन मस्तष्कि में भरी जा रही है, तो इस बात में कोई आश्चर्य नहीं हैं कि इस भय के माहौल […]
Read Moreकुछ समय किसी दूसरे के हालात में स्वयं को रखकर देखें – Walk a Mile in Someone Else’s Shoes (in Hindi)
कुछ समय किसी दूसरे के हालात में स्वयं को रखकर देखें स्वयं किसी दूसरे के हालात का अनुभव किये बिना यह जानना, महसूस करना और समझ पाना वास्तव में बहुत कठिन है कि वह किस परिस्थिति से गुज़र रहा है । अगर हमने ऐसा किया भी तो अनुभव वैसा नहीं होगा । लेकिन अगर हम […]
Read Moreऔर अधिक सम्भाल करें जब किसी भी चीज़ को सम्भाल और सावधानी का मनोभाव दिया जाता है, तो सम्भवतया चीज़ें और अच्छे ढ़ंग से सम्पूर्ण होंगी । जब हम असावधान होते हैं, तो अव्यवस्था और उलझन पैदा हो जाती है और आमतौर पर चीज़ें खराब हो जाती हैं । जितनी ऊर्जा हम किसी भी […]
Read Moreखुशी को चुनना स्व-स्शक्तिकरण की ओर मेडिटेशन पहला कदम है । वे आहा! लम्हें इस बात का अहसास करा सकते हैं कि हमारे जीवन में कुछ बदलने की आवश्यकता है । और तभी हम आंतरिक स्वतंत्रता और खुशी की ओर अपनी यात्रा आरम्भ कर सकते हैं । Listen in Hindi… जब हम किसी यात्रा […]
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