March 2017

Have to Vs. Want to

There are many times in our lives when we have to do something we don’t feel like doing, such as looking after the elderly or the sick or doing certain chores in the house. What exactly is the difference between doing something because we ‘have to’ or doing something because we ‘want to’? Does it

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अपने कर्मों की संभाल करें (Take Care of Your Karma – In Hindi)

अपने कर्मों की संभाल करें हमारा जीवन सीमीत है । गिने हुए घंटे और मिनट उपलब्ध हैं । हमारे जीवन का हमें मालूम है, और हमारी मौत पहले से ही तय है । तो यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपना समय कैसे प्रयोग करते हैं । अगर हम अपना समय व्यर्थता में,

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परेशान या शूरवीर? (Worrier or Warrior? – In Hindi)

परेशान या शूरवीर क्या आप जानते हैं कि चिंता करना एक बिमारी है । हाँ, यह सच में एक बीमारी है! इसके लिए कोई दवाई या औषधि नहीं है, लेकिन इससे तनाव और चिंता पैदा होती है । चिंता करने से दूसरी बड़ी बीमारीयाँ भी हो जाती हैं जैसे दिल की बीमारी, पाचन तंत्र और

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दूरदर्षिता और नैतिकता से भरपूर महापुरूष (A Man of Vision – In Hindi)

दूरदर्षिता और नैतिकता से भरपूर महापुरूष इस सप्ताह 18 जनवरी को मैंने ब्रहमाकुमारी मेडिटेशन संस्था के संस्थापक ब्रहमा बाबा की पुण्य तिथी मनाई । उनकी आत्मा 1969 में चली गई परन्तु उनकी विरासत आज भी है । वे एक महान दूरदर्शी थे और वे कुलीन और अच्छे हृदय के व्यक्ति थे । उनके जीवन काल

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नई शुरूआत – नए आप! (New Beginnings – New You – In Hindi)

नई शुरूआत – नए आप! नएपन के लिए हमारा उमंग स्वाभाविक है । असल में, हमें प्रत्येक पल नवीकृत होना है; हमारा शरीर निश्चित रूप से हमारे लिए यह स्वाभाविक रूप से करता रहता है, लेकिन कभी कभी हमारी आत्मा पीछे छूट जाती है । अगर फूल मुरझाऐंगे नहीं तो हमें आश्चर्य होगा । तो

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