आपकी वास्तविकता का निर्माण कौन कर रहा है? – Who’s Creating Your Reality (In Hindi)

आपकी वास्तविकता का निर्माण कौन कर रहा है?

 

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अगर आप ऑनलाईन कुछ फूल मंगवाते हैं और वे समय पर नहीं पहुँचते तो दोष किस को दिया जाऐ ? अगर बैंक कहता है कि आपका क्रेडिट कार्ड बंद करना पड़ेगा और आपको नया कार्ड मिलेगा लेकिन उसके पहुँचने में दो के बजाय दस दिन लगते हैं तो कौन ज़िम्मेवार है ? अगर आप किसी कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और एक के बाद एक हर बात बिगड़ती जाती है तो वास्तव में किसका और क्या दोष है?

दोष हमारा ही है! इस सत्य को निगलना बहुत कठिन लगता है कि गल्ती उनकी नहीं… हमारी है! हमने अभी यह समझना प्रारम्भ किया है कि हम प्रकम्पन्नों के संसार में रहते हैं और जिस भी किस्म के विचार और भावनाऐं हम प्रदान करेंगे वही निर्धारित करेगा कि किस प्रकार के हमारे पास लौटेगें । मेरे जीवन में क्या चल रहा है इसके लिए मैं दूसरे लोगों, वस्तुओं या परिस्थितियों पर दोष नहीं लगा सकती… इसके विपरित, मैं मेरे जीवन में क्या प्रत्यक्ष् करती हूँ उसकी ज़िम्मेवार मैं स्वयं हूँ । जिस प्रकार का जीवन मैं व्यतीत कर रही हूँ, मेरे विचारों और भावनाओं के द्वारा उसकी रचयिता मैं स्वयं हूँ । जो लोग अपने जीवन में दर्द और एक कमी महसूस कर रहे हैं उनके लिए यह सूचना समझना बहुत कठिन और अप्रिय महसूस होगा । फिर भी, हमें इस बात की समझ है कि हमारे कल के ज़िम्मेवार हम स्वयं ही हैं । इसका अर्थ केवल कर्मों से नहीं है लेकिन मेरे प्रत्येक विचार और प्रत्येक प्रकम्पन्न से मैं अपनी वास्तविकता का निर्माण कर रही हूँ । जबसे हमने यह मानना बंद किया है कि हमारे जीवन को बहुलता, समक्रमिकता, सुव्यवस्था, उत्कृष्टता, प्रवाह और प्रेम के अनुभव के लिए रचा गया है तबसे हमारा जीवन उलट-पुलट हो गया है । हम सोचने लगे कि यह सम्भव नहीं है और हमने इसे जीना और मानना बंद कर दिया । स्वयं रचयिता बनने के बजाय(जो कि हम हैं!) हम ज़िन्दगी को साधारण और पारम्परिक ढ़ंग से जीने लगे !

अगर ‍जिस प्रकार का जीवन मैं जीना चाहती हूँ और नहीं जी रही हूँ तो कहीं न कहीं मेरे दिल में और मेरे दिमाग में मैं यह महसूस करती हूँ कि मैं बहुलता के बेहद प्रवाह के लिए योग्य नहीं हूँ । प्रकाश की धारा जो मुझ पर चमकने के लिए उत्सुक है और मेरी मनोकामना पूरी करने के लिए मुझे सहायता करने वाली है, उसे शंका और संदेहवाद धुंधला कर देते हैं । इसलिए यह कायनात की गलती नहीं है, या संसार में बहुलता का अभाव नहीं है जिससे मुझे कमी का या बदकिस्मत होने का अनुभव होता है, बस बात यह है कि जो मैं चाहती हूँ उसे स्वयं की ओर आर्कषित नहीं कर पाती हूँ । लेकिन जागरूकता में परिवर्तन से बहुलता का प्रवाह खुल जाता है ।

अपनी भावनाओं को ज़रा गहराई से देखते हैं । हम सब अच्छा अनुभव करना चाहते हैं और गलती से हमने यह समझ लिया है कि वस्तुऐं और लोग हमें खुशी और प्रेम देंगे । ऐसा नहीं है ! इसलिए अगर हम जैसा अनुभव अभी करना चाहते हैं वैसी आदर्श स्थिति की कल्पना करना अभी आरम्भ कर दें, और उस भावना को अनुभव करना आरम्भ कर दें तो हमने स्वयं को बिल्कुल उसी स्थान पर रखा है जहां जैसे प्रकम्पन्  की आवृती हम पाना चाहते हैं वैसी ही मिलेगी । समान, समान को आर्कषित करता है । तब हम जगत को इसी प्रकार की और भावनाऐं अनगिनत दूसरे तरीकों से हम तक भेजने की अनुमति देते हैं, केवल जिस पर हम अभी तक अटके हुए थे वह एक ही तरीका नहीं है । अधिक खुशी और प्रेम पाने के लिए हमें उसी प्रकार के प्रकम्पन्नों की आवृति से ट्यून करना पड़ेगा । जैसे एक रेडियो की भांति, मुझे सिग्नल तभी मिलेगा जब मै उचित आवृति से ठीक रीति से जुड़ी हुई हूँ । अगर मैं नकारात्मक मनोभाव में अटकी हुई हूँ तो मैं सकारात्मक टीका-टिप्पणी की उम्मीद कैसे कर सकती हूँ । अगर मुझे लगता है कि मैं कुछ पाने के लायक नहीं हूँ तो मैं उसे कैसे पा सकती हूँ? इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि जो हम चाहते हैं उसका अनुभव करें, वह हमारे मस्तक में एक सुन्दर विचार बनकर न रह जाए । जो शब्द हम बोल रहे हैं जगत को वह सुनाई नहीं देता, बल्कि जो वास्तव में हम स्वयं के बारे में सोच रहे हैं और एहसास कर रहे हैं वह उसका प्रत्युत्त्र देता है । अगर हम प्रेम, आदर और करूणा के प्रकम्पन्न उत्पन्न कर रहे हैं तो मैं वही तरंग आयाम प्रसारित कर रही हूँ और बदले में वही मुझे मिलेगा । आजकल हम अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने के बारे में बहुत सुनते हैं, लेकिन क्या हम सच में बड़ा घर चाहते हैं, बड़ी रकम का चैक चाहते हैं, या ऊँचा पद चाहते हैं या वास्तव में हम सुरक्षा, खुशी और मन की शांति चाहते हैं?

अगर मैं सच में अपने जीवन में बदलाव लाना चाहती हूँ, अगर मैं सच में प्रेम और खुशी का अनुभव करना चाहती हूँ तो मुझे वैसे विचार चुनने होंगे जो सही प्रकार की भावनाऐं या अहसास उत्पन्न करने में मदद करें । फिर ये भावनाऐं हमारे शब्दों और कर्मों द्वारा व्यक्त होंगी और आखिरकार भौतिक वस्तुऐं अपने आप हमारे पास आ जाऐंगी । लेकिन चीज़ों के पीछे न भागना ही इसका रहस्य है । पहले भावनाओं को उत्पन्न करें, अपने जीवन का आनंद लीजिऐ और फिर ‘चीज़ें’ आपके पीछे भागेंगी ।

अब समय है… योग्य होने की आनंदमय भावना से अपने प्रकम्पन्नों को अनुकूल बनाने का ताकि हम अपने जीवन में बहुलता का प्रवाह निर्माण कर सकें । हम जैसा जीवन जीना चाहते हैं वह अपने विचारों और भावनाओं द्वारा व्यक्त कर सकते हैं । कल्पना कीजिए, बस आपको विचारों को ही रचना है और फिर… बाकि कायनात पर छोड़ दें !

(Listen to the English Audio of Who’s Creating Your Reality Here )

© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK

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