कल्पना करें
कल्पना करें कि सूर्यास्त होने वाला है, और आप एक सुन्दर हरे मैदान से मृदुलता से गुज़र रहे हैं । हल्की हल्की ब्यार कोमलता से आपके बालों को अस्त-वयस्त कर रही है । वातावरण में पेड़ों पर बैठे पंछीयों की चहचहाट है और दूर कहीं से ट्रैक्टर की गुंजन आ रही है । इन ध्वनियों से आपके अंदर शांति और सुकून की महसूसता हो रही है । अचानक, अभी तक जो एक पेड़ की भाँति प्रतीत हो रहा था वह एक विशालकाय हरे दैत्य के रूप में परिवर्तित हो जाता है । उसके जाल जैसे पाँव आपकी ओर बढ़ रहे हैं और एक पल के लिए आप भौंचक्के रह जाते हैं… लेकिन उसके चेहरे पर एक कोमल मुस्कान है, जो बहुत नम्र और लुभावनी प्रतीत हो रही है । वह अपनी हथेली आपकी ओर बढ़ाता है और आप उस पर चढ़ जाते हैं… वह आपको दूसरी दुनिया दिखाने का वायदा करता है; और आप उसके निमंत्रण को स्वीकार कर लेते हैं!
कुछ ही पलों में आप हवा में हैं । आप दूसरे जगत में पहुँच जाते हैं, जिस दुनिया से आप आए हैं यह उससे कहीं अधिक खुबसूरत है… यहाँ भी सूर्यास्त हो रहा है, लेकिन समस्त आकाश में सुनहरा, नारंगी और लाल रंग फैला है, यह बहुत सुंदर लग रहा है । तापमान भी बिल्कुल उचित है, ना बहुत गर्म ना बहुत ठंडा । आपके सहूलियत के स्थान से आप अच्छी प्रकार काटे हुए बगीचे देख सकते हैं, और बगीचों में शेर और मोर निर्भय होकर और शानदार ढंग से विचरण कर रहे हैं । हीरे जवाहरात इतनी प्रचुर मात्रा में धरती पर फैले हुए हैं जैसे कि पत्थर हों । अपने चारों ओर आप सोने के महल देखते हैं । छोटे छोटे हंस की आकृति के उड़ने वाले वाहनों से आकाश छितराया हुआ है, छोटे बच्चों के पास भी अपने स्वयं के वाहन हैं ।
वह दानव आपको नीचे रख देता है, और जैसे ही आप पैर नीचे रखते हैं तो घास खंडित होकर आपके लिए रास्ता बना देती है जैसे कि आपका स्वागत कर रही हो! यह सुंदरता का संसार है, आप इसके प्रत्येक पल का, प्रत्येक फूल, प्रत्येक ध्वनि, प्रत्येक सुगंध का आनंद ले रहे हैं ।
आख़िरकार, अब समय है इस पल में वापिस लौट आने का ।
कल्पना की यात्रा से स्वयं को दूसरे स्थान पर पहुँचाना बहुत तस्सलीबख्श, आरामदेह और आरोग्यकर महसूस होता है । फिर भी हम ऐसा बहुत अधिक नहीं करते । यदा कदा दैनिक जीवन की नीरसता से हमें स्वयं को दूर ले जाने की और दूसरी वास्तविकता को देखने की आवश्यकता होती है । उसका अर्थ आपके लिए जो भी हो ।
फिर भी, हम दूसरे प्रकार की कल्पना में चले जाते हैं । जिसमें हम किसी सुंदर स्थान पर उड़ कर नहीं पहुँचते बल्कि नीचे गिर कर चकनाचूर हो जाते हैं! उस प्रकार की कल्पना में हम नकारात्मक सोचते हैं और बदतरीन परिदृश्यों को ताज़ा कर देते हैं, जिससे अपने जीवन में दुख और चिंता उप्तन्न हो जाती है ।
झूठी कल्पना से कितने सम्बन्ध खराब हुऐ हैं, कितने ही युद्धों का आरम्भ हुआ है या कितने साम्राज्यों का पतन हुआ है । हम कल्पना करते हैं कि “यह इंसान यह कर रहा है, वह कर रहा है इस कारण से या उस कारण से…।” “वे मेरे विरोध में साजिश रच रहे हैं ।” “इस इन्सान ने अभी तक फोन नहीं किया है/सम्पर्क नहीं किया है/अभी तक आया नहीं है…कुछ खराब ही हुआ होगा ।”
दादी जानकी ने एक बार हमारे छोटे समूह में कहा था कि अगर हमें किसी बात की जानकारी नहीं है तो कल्पना करके झूठी कहानी बनाने के बजाय हमें बता देना चाहिए कि हम सच्चाई से अनभिज्ञ हैं । उदाहरण के लिए हम किसी इन्सान के लिए अपनी धारणा बना लेते हैं कि वह बहुत आलसी है । तो जब भी कोई कार्य सम्पन्न नहीं होता तो हम अनुमान लगा लेते हैं कि उनके आलस के कारण नहीं हुआ । असल में हमें वास्तविकता का कुछ पता नहीं है!
इससे भी खराब, हम दूसरों से कोई कहानी सुनते हैं और उसमें अपना मिर्च मसाला लगा देते हैं, ताकि हम अधिक रोचक कहानी सुना सकें और हमारे सुनने वाले लम्बे समय तक सुनते रहें! जब हम आवश्यकता से अधिक कल्पना करने लगते हैं और हम कहानी को बढ़ा चढ़ा देते हैं तो हम कहानी बताने वाले, सुनने वालों और उसको आगे सुनाने वालों के लिए नकारात्मक कर्मों का निर्माण करते हैं ।
जो निराशावादी हैं, उनके लिए अब सवाल है वास्तविकता बनाम कल्पना का । निराशावादी सोच सकते हैं कि वास्तविकता को टाल कर अपनी कल्पना का प्रयोग करके वे स्वयं को मूर्ख बना रहे हैं । असल में हम सभी ‘वास्तविकता’ को अलग अलग ढ़ंग से अपने दृष्टिकोण के देखते हैं- नकारात्मक, सकारात्मक या मध्य में कुछ ।
दूसरी बात,जैसे मन को नकारात्मक या सकारात्मक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है वही बात कल्पना के लिए भी लागू होती है । अपनी कल्पना का प्रयोग वह सोचने के लिए करें जो आप जीवन में अनुभव करना चाहते हैं, ना कि अपने भयावह दुखों के अहसास के लिए ।
जब मैं अपने मन में बातों की कल्पना करती हूँ तो मैं उन बातों में ऊर्जा का संचार कर देती हूँ और जिस बात को ऊर्जा दी जाती है उसके वास्तविक होने की सम्भावना बढ़ जाती है । तो जिस भी बात को मैं अपना ध्यान दे रही हूँ- हमेशा संभावित कार दुर्घटना को, या मेरी प्रचूरता को और समृद्धी को, सब मुझ पर निर्भर करता है । चाहे कुछ भी हो मुझे अपने संकल्पों की शक्ति के बारे में जागरूक रहना होगा!
अब समय है… नकारात्मक के बजाय सकारात्मक बनने का । अपने अंदर के जगत के सपनों और भावनाओं, हल्केपन और खुशी में तैरने का और जो वास्तविकता हम अनुभव करना चाहते हैं उसकी कल्पना करने का ।
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© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK
धन्यवाद।