प्रतिक्षा करें और देखें (Wait and See in Hindi)

प्रतिक्षा करें और देखें

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“एक मिनट का धैर्य, दस वर्ष की शांति”- यूनानी कहावत

वर्तमान समय में धैर्यता एक ऐसा गुण है जो हम में से बहुतों में नहीं है! एक बटन के दबाने से या माऊस किल्क करने से काम हो जाते हैं, और अगर हमें एक पल भी इन्तज़ार करना पड़े तो… हम अधीर हो उठते हैं! हमें सबकुछ चाहिए और अभी चाहिए! सच्चाई यह है कि बेसब्री का अवगुण हमें कभी भी आराम का और स्वतंत्रता का अनुभव नहीं करने देगा । इसके लिए हमें धैर्यता सीखनी पड़ेगी और इसमें समय लग सकता है और धैर्यता भी!

धीरज सीखने से ना केवल हमारे जीवन से तनाव कम होगा बल्कि यह हमें एक बेहतर मनुष्य भी बना देगा । एक के बाद दूसरे कार्य पर छलाँग लगाकर सबकुछ करने के असफल प्रयास करने के बजाय हम जीवन के हर्ष का आनंद लेना प्रारम्भ कर देते हैं, ताकि हम आराम का अनुभव कर सकें!

Giant tortoise in El Chato Tortoise Reserve, Galapagos islands (Ecuador)

हम बहुत सी बातों में बेसब्र हो जाते हैं: हम कृत्रिम प्रकाश में सब्ज़ियों को उगाते हैं और उनको शीघ्र उपजाने के लिए हॉरमोन मिला देते हैं । दूध के उत्पादों के साथ भी हम ऐसा ही करते हैं – प्राकृतिक तरीके के स्थान पर हम कृत्रिम ढंग से अपनी गायों को गर्भवती कराते हैं और बलपूर्वक उनसे दूध हासिल करते हैं । हम मिट्टी को क्षीण कर देते हैं क्योंकि उसे पुन: पूर्ति करने का कोई मौका नहीं देते । हम अपनी सुरक्षा को दाँव पर लगाकर थोड़े समय में बहुत अधिक ईमारतों का निर्माण करते हैं । और क्यूँ? धन, शक्ति, पहचान पाने के लिए । क्योंकि मानव लालची है और अगर हम कल ही अमीर बन सकते हैं तो प्रतीक्षा क्यूँ करनी! चलो जल्दी करते हैं!

हम में से बहुत लोग बहुत तेज़ रफ़तार का जीवन व्यतीत कर रहे हैं और उसका एक ही अर्थ है कि हम अपनी मौत की और तेजी से बढ़ रहे हैं! ज़रा सोचें, अगर हम धैर्यवान नहीं हैं तो इसके स्थान पर क्या है? निश्चित रूप से असहिष्णु और निराश। और इसका अर्थ है कि हम अपने जीवन का आनंद नहीं ले रहे या अपनी जीवन नहीं जी रहे । अगर हम हमेशा बेसब्री से अगली बात का इंतज़ार करते हैं तो इस पल की सुंदरता को सराहने का समय कब मिलेगा?

Fresh bunch tomatoes in garden

Dairy farm, milking cows

अगर आज मैं धैर्यवान नहीं हूँ तो हो सकता है कि कल मैं तनाव का रोगी बन जाऊँ । मुझे समझ आता है कि प्रत्येक बात अपने समय पर होती है और मैं शांती से हर बात स्वीकारने लगता हूँ । कुछ परिस्थितियों में हम सब में धैर्यता होती है लेकिन चलिए उस सीमा को हर बार बढ़ाते चलें ताकि हम किसी अधैर्यता के अधीन न हो जाऐं । कई बार हम बातों को शीघ्र करने के लिए या मनचाहा परिणाम पाने के लिए जल्दबाज़ी करते हैं, जबकि ड्रामा का प्रत्येक इशारा हमें प्रतिक्षा करने को कह रहा है । कभी कभी हम किसी व्यक्ति के लिए अधीर हो जाते हैं कि वह अपनी बात शीघ्र समाप्त करे या वह कार्य जल्दी से पूरा करे, या हम इस बात पर चिड़ जाते हैं कि वे आपकी बात को समझ नहीं रहे हैं । अगली बार जब आप अधैर्यता को बढ़ता देखें तो रूकें और ‘प्रतिक्षा करें और देखें’ कि फिर क्या होता है । इसे कुछ समय दें, थोड़ा और समय दें और फिर देखें कि आपके हस्तक्षेप के बिना ही घटनाओं की परत खुलती जाती है । आपको खुशी के साथ आश्चर्य होगा ।

patient

अधिकतर समय हमारा अहंकार होता है जो हमें उत्तेजित होने के लिए बाध्य करता है, और दावा करता है कि इसे और भी वह अच्छा कर सकता है, अधिक होशियार हो सकता है और कार्य को शीघ्र समाप्त कर सकता है । उस घड़ी में सब्र अहंकार को ऐसी जीत का दावा करने से रोकता है! अहंकार को समाप्त कर दें और धैर्यता को अपना लें । कभी कभी कुछ घटनाओं के घटने के लिए हमें सब्र और समझ की आवश्यकता पड़ती है । यहाँ इस बात की स्मृति रखना लाभदायक होगा कि सभी बीजों को अंकुरित होने, उगने और फल उत्पाद करने में समय लगता है । जीवन में हर चीज़ में समय लगता है । बीज को जल्दी उगने के लिए हम बाध्य नहीं कर सकते । हाँ जो आप कर सकते हैं वह अवश्य करें । अपनी मेहनत करें और अगर मेहनत सही दिशा में की है तो अपने आप ही सब बातें ठीक हो जाऐंगी । जब हम बातों को जबरदस्ती करने का प्रयास करते हैं तो हम जीवन के प्राकृतिक प्रवाह के विपरीत जाते हैं । इससे निराशा और मायूसी की उर्जा उत्पन्न होती है… और फिर अक्सर हमारा अनुभव कि कोई भी कार्य सफल नहीं होता!

धीरज में निराशा या संघर्ष नहीं है । जो कुछ भी हो रहा है वह सम्पूर्ण और यथार्थ है । इससे बेहतर नहीं हो सकता! मैं प्रवाह को स्वीकार करता हूँ और प्रवाह के साथ बहता हूँ!

धैर्यता एक माँ की तरह है, यह प्रेम, करूणा, समझ, विवेक, दया, मिठास, हमदर्दी, भद्रता को जन्म देती है । वास्तव में धीरज एक ऐसा गुण है जिसका हम सभी को विकास करना चाहिए ।

धीरज का विकास कैसे करें? क्या सिर्फ इसके बारे में सोच के? धैर्यवान बनने के बारे में बातें कर के? या केवल ऐसा बन के? अगली बार आप जानते हैं कि धीरज सबसे बेहतर विकल्प है तो इसके बारे में सिर्फ बातें नहीं करनी है लेकिन ऐसा बनना है । रूकें, इंतजार करें और सोचें । कुछ गहरी सांसे लें । इसमें स्वयं के लिए क्या फायदा होगा उस बारे में सोचें, ड्रामा को अपने समय पर घटित होने दें और जीवन का आनंद लेना आरंभ कर दें ।

अब समय है… धैर्यवान बनने का । इसके बारे में सोचना नहीं है लेकिन बनना है । प्रतिक्षा करें और देखें । पुरूषार्थ करें लेकिन बलपूर्वक कुछ नहीं करना फिर धैर्यता रास्ते का मार्गदर्शन करेगी । अगर आप में धीरज नहीं है तो हो सकता है आप मरीज़ बन जाऐं!

 

© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK

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