धैर्यता से खेल में जीत होती है – Staying Cool Wins the Game (in Hindi)

धैर्यता से खेल में जीत होती है

 

विम्बलडन, लंदन में होने वाली प्रतिष्ठापूर्ण वार्षिक टैनिस प्रतियोगिता अभी चल रही है – घास के मैदान, टैनिस के सफेद कपड़े, शैम्पेन, स्ट्रॉबैरीज़ और भरपूर मात्रा में क्रीम । हरेक खिलाड़ी इस परंपरागत और सम्मान्निय टूर्नामेंट के लिए अपना बेहतरीन प्रदर्शन करता है । फिर भी कोई तड़क भड़क वाले और उच्च तकनीक वाले रैकेट और तकनीकों से खेल नहीं जीता जाता । सबसे महत्वपूर्ण मानसिक ‍स्थिति है । स्थिरता, आत्मविश्वास और शांतचित अवस्था ही मैच को जिताने में मदद करती हैं ।

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रोज़र फेडरर के इतना बेहतरीन खिलाड़ी होने का मुख्य कारण है कि खेल के मैदान में वह बहुत ‘सज्जन व्यक्ति’ है । दबाव और तनाव के होते हुए भी वह उनको अपनी भावनाओं पर पूरा नियंत्रण होता है । वह हारता भी है तो मुस्कान के साथ । उनके पास मैडल और ट्रॉफियों का बहुत बड़ा संकलन है, लेकिन उनकी असली महानता उनका आंतरिक प्रभुत्व है ।

 

29वें क्रम के फेबियो फोगनीनी बहुत बड़िया खिलाड़ी हैं, फिर भी विम्बल्डन में अनेकों बार अपने ‘अनुचित’ व्यवहार के कारण बहुत बड़ी राशी जुर्माने के रूप में देनी पड़ी है । सुप्रसिद्ध जॉन मकअनरो ने भी बहुत बार खेल के मैदान में हंगामा मचाया है, जिससे उनको कोई फायदा नहीं मिला! कभी कभी सेरेना विलियमस, जो कि टैनस की दिग्गज है, भी बहुत बार तनाव के कारण आपे से बाहर हो गई और अपने खराब व्यवहार के कारण जुर्माना भरना पड़ा ।

अपना आपा खोते ही मैने खिलाड़ियों को मैच हारते देखा है । जब उनके सिर क्रोध और तनाव से भरे होते हैं, तो वे अपना ध्यान और एकाग्रता भी खोने लगते हैं और परिणामस्वरूप गलती करने लगते हैं ।

केवल टैनिस में ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में जीतने के लिए ध्यान और एकाग्रता की आवश्यकता है । इसका अर्थ है हमारे विचारों का प्रबंधन करना, और हमेशा सकारात्मक रहना । अंत तक खेल समाप्त नहीं होता । और विशेष रूप से टैनिस के खेल में हमने देखा है कि कितनी आसानी से बाज़ी पलट जाती है ।

यही वस्तुस्थिति उस हर बात के लिए है जो हम पाना चाहते हैं । जीवन का खेल तो ‘अंत’ तक पूरा नहीं होता । इसका अर्थ है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितनी बार हारे हैं, हम किसी भी समय ‘जीत’ सकते हैं ।

सकारात्मकता बनाऐ रखिए और शांतचित रहें, और इस प्रकार हमारे पास सफलता के आने की संभावना अधिक होगी । क्रोध, परेशानी और उलझन की अवस्था में संभव है कि सफलता को हम दूर धकेल दें । हो सकता है कि आप अपने ‘प्रतिद्वंदी’ – कोई समस्या या कठिन परिस्थिति को नियंत्रित न कर सकें – फिर भी हम स्वयं को नियंत्रित कर सकते हैं । अपने मन का स्वामी बनना यह सबसे बड़ा संघर्ष है । अगर हमने इस को जीत लिया तो खेल को जीत लिया । चाहे जो भी परिस्थिति हो, लेकिन अगर हमने स्व-प्रभुत्व को बनाए रखा है तो आखिरकार वे हमारे हक में ही परिवर्तित हो जाऐंगी ।

मेरी एक दोस्त के पति शेयर बाज़ार में बहुत बड़ी रकम लगाते थे । एक दिन कुछ ही मिनटों में वे 400,000 डॉलर हार गए, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि वे हँस रहे थे । जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि ए‍क अच्छा विजेता बनने के लिए एक अच्छा असफल बनना आवश्यक है! मैं वह बात कभी नहीं भूलती । मुझे नहीं लगता कि मैं कभी शेयर बाज़ार में निवेश करूँगी लेकिन वह मेरे लिए जीवन का सबक था ।

अच्छा असफल बनने का अर्थ है कि आप किसी भी बात को बहुत गम्भीरता से नहीं लेंगे, आप जानते हैं कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे और आप जानते हैं कि कोई भी चीज़ हमें प्राप्त होती है (या हमसे दूर जाती है) तो सब अच्छे के लिए होता है । इस प्रकार सफलता के समय में हम खुश रह सकते हैं और असफलता के समय में सकारात्मक और आशावादी ।

यही आशा है कि सबसे बेहतरीन आदमी और औरतें विम्बलडन में जीतें और इसी तरह किसी भी हालात में हमारा भी सबसे बेहतरीन स्वरूप उभर कर आए! हमें भी अपने आंतरिक जगत की लड़ाई लड़नी है, हर बार एक अंक हासिल होगा । ‘आंतरिक खेल’ खेलें और जीवन के संर्घषों का जवाब गरिमा, साहस और आशावादिता से देकर अंक जीतने पर ध्यान केंद्रित करें । जब आप हर बार एक प्वॉईंट जीतते जाते हो तो आप खेल जीतते हो और आखिर में मैंच जीत जाते हो!

अब समय है… स्कॉरबोर्ड देखने का । जीवन का खेल जीतने के लिए शीतल, शांत और धैर्यवान रहें!

 

 

© ‘It’s Time…’ by Aruna Ladva, BK Publications London, UK

 

 

 

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